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तुम्हें महसूस करने के लिये.. आवाज़ की जरूरत नहीं..

तुम्हें महसूस करने के लिये.. 
आवाज़ की जरूरत नहीं..
न जरूरी हैं स्पर्श करना..
तुम्हारी चुप,
पल भर की मौन का घूँट-घूँट..
मेरे गले मे यूं अटकना,
कानों में चिल्लाता हैं..
तुम्हारे अन्दर 
कितना कोहराम होगा.. dear aap
तुम्हें महसूस करने के लिये.. 
आवाज़ की जरूरत नहीं..
न जरूरी हैं स्पर्श करना..
तुम्हारी चुप,
पल भर की मौन का घूँट-घूँट..
मेरे गले मे यूं अटकना,
कानों में चिल्लाता हैं..
तुम्हारे अन्दर 
कितना कोहराम होगा.. dear aap