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शालिनी सिंह

मैं शांत, शीतल, शालवृक्ष.. पुलकित हृदय, शाल्मली.. परिचय हैं मेरा "शालिनी" 🌷🍁

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शालिनी सिंह

कभी - कभी कुछ उम्मीदें ओझल सी लगती हैं..
मन के किसी कोने मे बस,
सिमटी रहती हैं खामोश सी..
जैसे सिमटे रहते हैं कुछ अनकहे से लफ्ज..
कही हुई बातो मे शायद समझ जाये बारिशें 
कि आसमां गरज कर ना जाने क्या छुपा रहा..
या तूफानों की तेज़ हवाएं चुपचाप क्यों हो गयीं..
आँखों के आंसू किसके इंतजार मे ठहर गए 
उदासियों वाली ख़ामोशी हर जबाब मे मुस्करा क्यों देती..
कभी कभी यूँ भी लगता होगा उम्मीदों को, 
ना जाने किस रास्ते पर आकर ठिठक गयीं हूँ..
एक तरफ आशाओं का इंतजार हैं.. 
तो दूसरी तरफ कोशिशों के सब्र को जकड़े वक़्त का पहर..
 किसका हाथ थामू और किसको जाने दूँ या सब छोड़ दूँ वक़्त के हवाले से..
या लफ्जों को छिपा लूँ कलमों के जाल से राज से सारे कैद कर लूँ मन के तहखानों मे..
या खुला छोड़ दूँ सारा आसमां उम्मीदों के आँचल मे..
जो ओझलता से कहे कान में,उम्मीद अभी बाकी है मेरे दोस्त..!!!

©शालिनी सिंह
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शालिनी सिंह

कभी - कभी कुछ उम्मीदें ओझल सी लगती हैं
मन के किसी कोने मे बस,
सिमटी रहती हैं खामोश सी 
जैसे सिमटे रहते हैं कुछ अनकहे से लफ्ज
कही हुई बातो मे शायद समझ जाये बारिशें कि 
आकाश गरज कर ना जाने क्या छुपा रहा
या तूफानों की तेज़ हवाएं चुपचाप क्यों हो गयीं 
आँखों के आंसू किसके इंतजार मे ठहर गए 
उदासियों वाली ख़ामोशी हर जबाब मे मुस्करा क्यों देती 
कभी कभी यूँ भी लगता होगा उम्मीदों को, 
ना जाने किस रास्ते पर आकर ठिठक गयीं हूँ
एक तरफ आशाओं का इंतजार हैं 
तो दूसरी तरफ कोशिशों के सब्र को जकड़े वक़्त का पहर किसका हाथ थामू
और किसको जाने दूँ या सब छोड़ दूँ वक़्त के हवाले से 
या लफ्जों को छिपा लूँ कलमों के जाल से राज से सारे कैद कर लूँ मन के तहखानों मे
या खुला छोड़ दूँ सारा आसमां उम्मीदों के आँचल मे,, 
जो ओझलता से कहे कान में,, उम्मीद अभी बाकी है मेरे दोस्त!

©शालिनी सिंह #walkingalone
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शालिनी सिंह

मैं बातें बारिश की बूंदों से करती हूँ..
हवा से ख़ुशबू को महसूस करती हूँ..
रात की ठंडक से सुकून और
और सूरज की किरणों से
मैं दिल को रोशनी से भरती हूँ..
अक्सर लोग पूछते हैं..
इसमे कौन सी ख़ुशी हैं..
अगर देखने जाओ तो कुछ तरसते हैं
इन सब के लिये..
सच कहूं मैं ख़ुद को बहुत शुक्रगुज़ार 
मानती हूँ..

©शालिनी सिंह #rainfall
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शालिनी सिंह

प्रेम या यूँ कह लो प्यार क्या हैं?
सच कहूं तो ये कितना कठिन सवाल है, लेकिन ये बस लिखने का ही विषय हैं,
वरना इस सवाल का कोई अस्तित्व नहीं है,
बचपन से ही बच्चे से पूछा जाता है कि वो सबसे ज़्यादा प्यार
किससे करता है,और बच्चा भी बिना ये प्रश्न किये कि प्यार क्या होता है,
झट से अपनी मां या पिता या किसी अन्य का नाम बता देता है,
और बीस पचीस साल बिना ये सवाल किसी से किये, बिना ज़वाब मिले,
वो किसी हमउम्र के सामने घुटनों पर बैठ सामने वाला भी 
यह सवाल नहीं करता कि प्यार क्या होता है, और हां या ना कर देता है,
तपाक से कह देता है कि मैं तुमसे प्यार करता हूं,अब तक किसी के मन में ये सवाल नहीं है
कि प्यार आख़िर है क्या और फिर भी प्यार हैं, ये सवाल  उठता है तब
जब परिस्थितियां हमारे विपरीत जाती हैं, जब सामने वाला हमारे अनुसार
व्यवहार नहीं करता, जिसको बंधना बांधना पसंद होता है,
उसके लिए हर सांस साथ साथ लेना प्यार है, जिसकी मजबूरी है,
उसके लिए प्यार में देह ग़ैर-ज़रूरी है, जब तक सब सबकी इच्छा से चलता है,
तब तक कोई ये नहीं जानना चाहता और ना ही बताना चाहता हैं..
माँ बात- बात पर कह देती हैं मा जैसा प्यार कोई नहीं करता बच्चे को,
मतलब प्यार के प्रकार होते हैं ये बात तो साफ हैं..
माँ से पूछो प्यार क्या हैं तो माँ कहेंगी नौ महीने पाला हैं कोख़ मे
परवाह, त्याग, अपने शरीर का हिस्सा समझना ये सब प्यार हैं,
और ऐसे ही पिता, भाई, बहन,पति ,पत्नी, बच्चें,दोस्त और प्रेमी सब बता देंगे प्यार क्या हैं,
और किसी भी एक व्यक्ति के जवाब से कोई भी दूसरा व्यक्ति सहमत नहीं होगा।
पिता मां से कह देंगे कि हर समय में गोद में लिटाकर माथा चूमकर बच्चे को निकम्मा बना देना कहां का प्यार है,
उसकी ज़िन्दगी बर्बाद हो रही है बस और सभी का ऐसा ही कोई तर्क निकल आयेगा,

पर जितना मैंने समझा है प्यार को, 
प्यार एक खोज है... एक तलाश... दोनों ओर समान गति से चलती है, 
जितना अंदर बढ़ती और जिस दिशा में जिस भी प्रकृति के साथ बढ़ती है, उतनी ही बाहर भी..
प्यार विकास की सतत् प्रक्रिया है, और ये खोज, ये विकास अच्छे और बुरे व ग़लत और सही दोनों हो सकते हैं,
और प्रेमी... एक खोजकर्ता, एक अन्वेषक एक ऐसी खोज... जो बाहर और भीतर
प्यार करने वाला व्यक्ति हर रोज़ अपने अंदर अपनी भावनाएँ जताने का एक नया आयाम ढूंढता है,
 प्यार की नई नई सम्भावनाएँ तलाशता है, ये आयाम समर्पण, त्याग, विश्वास, परवाह कुछ भी हो सकते हैं, 
उसमें रोज़ एक निश्चित अनुपात में प्यार विकसित होता है.. 
सहनशीलता, क्षमाशीलता, दयाभाव और विवेकशीलता जैसा गुण बनकर, या असुरक्षा की भावना बनकर भी, 
जुनून और ज़िद बनकर भी, बस निर्भर करता है, कि प्यार किसके प्रति है और व्यक्ति में कितनी नैतिकता है, 
और अपने आपके व दूसरो के प्रति कितनी निश्छलता है।

प्यार एक सफ़र है, जिसकी मंज़िल "कभी मंज़िल पर नहीं पहुंचना है।

©शालिनी सिंह #TakeMeToTheMoon
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शालिनी सिंह

तुम्हारा रोम -रोम जब समझेगा लक्ष्य क्या है,
अंग अंग तुम्हारा तब समझेगा की करना क्या है,
तुम्हारी काबिलियत, तुम्हारा निश्चय,
तुम्हारा आत्मबल, सब कुछ अच्छा है, जरूरी है,
पर इतनी ही जरूरी एक और चीज है कि तुम जो भी करो, 
पूरी शिद्दत से करो, मन से करो, 
तुम्हारे अवचेतन मन को भी पता होना चाहिए के तुम चाहते क्या हो !
क्यूंकि कोई भी रास्ते पर तुम्हारी गति हमेशा समना नहीं रहेगी, 
ना ही तुम हमेशा चलते रहने का कर्तव्य निभा सकते हो,
और वो समय जब तुम थक के बैठोगे, प्रोत्साहन ढूंढ रहे होगे
और कमजोर पड़ने लगोगे, तब सिर्फ मन ही नहीं, 
शरीर के अंग खुद ही समझ जाएंगे आगे क्या करना है, 
और यह तभी संभव है जब तुम वो काम करो जो करना चाहते हो ।
खोखली दुनिया और इसकी ये सीमाएं, 
इनका उल्लंघन करना तो कर्तव्य है तुम्हारा, 
तो डरो मत, लगाओ छलांग, ऊंची, बहुत ऊंची। 
तुम्हे रोकने के लिए, डराने के लिए, 
गिराने के लिए रास्ते में भीड़ है बहुत बड़ी, 
पर तुम तो अडिग हो ना, जो पाना है वो पाना है, 
सबको पीछे छोड़ कर आगे बढ़ना है तुम्हे, 
और अगर वो मुश्किलें तुम खुद हो तो अपने इस रूप को वहीं त्याग के बढ़ जाओ...
त्याग जरूरी है, हर एक चीज का बोझ तुम्हारे अकेले का नहीं है, 
तुम वो करो पहले जो तुम्हारा हिस्सा है, 
फिर ही तुम दूसरों के बोझ उतार पाओगे वरना खुद एक बोझ बन कर रह जाओगे। 
तुम्हारे सपनो, तुम्हारे लक्ष्य के प्रति ईमानदार रहना तुम्हारा ही दायित्व है, 
उनके लिए लड़ना, उनको उनके हिस्से का सम्मान दिलाना, 
ये सब तुम्हे ही करना है, तो बढ़ो, बढ़ते रहो... 
किसी दुख, किसी परेशानी को इतना महत्व मत  दो की वो रोक लें तुम्हे, 
हां थोड़ा ठहर सकते हो पर फिर से चलना है तो समय का ध्यान रखना जरा...
और ये सब कुछ तुम तभी कर पाओगे जब खुद पे विश्वास रखोगे, 
अपनी मेहनत अपनी कोशिश के प्रति ईमानदार रहोगे और 
रास्ते में आने वाली हर मुश्किल को धीरे से किनारे करके बढ़ जाओगे, 
हो सकता है तुम अंतिम पड़ाव पर पहुंचने के बाद गिर जाओ तो घबराना नहीं, 
रास्ता देख चुके हो तुम, फिर से चलना और जीत कर आना।।

©शालिनी सिंह #NationalSimplicityDay
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शालिनी सिंह

हुई मैं दीप आपके मंदिर की..
इस लौ में मेरे प्राण हैं..
हिले  डुले रमे काया मेरी..
आपकी निर्मल छवि मुस्कान हैं..
दरस पाऊं तो ज्योत बढ़े..
प्रिय प्रेम का यही प्रमाण हैं..

©शालिनी सिंह #Diwali
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शालिनी सिंह

याद आ रहे  हैं आज
वो हसीं  लम्हें..
वो गुज़िश्ता पल..
वो बातें.. वो मुलाकातें..
वो पुरनम अहसाह..
जब हम और आप पहली दफ़ा मिले थे..
यूं ही बहते चले जा रहे हैं
इन लहरों के साथ जैसे 
दिल मे यादों का कारवाँ
बहता चला जा रहा हो..
ये ठंडी हवा हौले से छेड़ जाती हैं
इन गेसूओं को
कानों में गुनगुनाती हैं
आपकी मीठी बातें..
आप यहाँ होते तो 
कितना अच्छा होता..
इन फिज़ाओं की भीनी महक में सिमटे
जब रखते हैं कदम तो पानी की बौछारें भी
खिलखिलाती हैं
और कहती हैं इस पूरे कायनात में 
"आपसे अच्छा कोई नहीं"

©शालिनी सिंह #Love
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शालिनी सिंह

When u feel broken,
 pick up the pieces 
and start moving silently.

©शालिनी सिंह #Flower
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शालिनी सिंह

क्या तुम खुश हो..??
या पहने हुए हो नकाब 
झूठी मुस्कुराहटों के..

©शालिनी सिंह #Mic
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शालिनी सिंह

#Jitnidafa
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