Meri Mati Mera Desh लोग पूछते खाली हो क्या, घर बैठे बदहाली हो क्या, किस्मत ने मुँह फेर लिया है, पढ़ लिख बने मवाली हो क्या, आँसू जहाँ न थमते गम के, रहते संदेशखाली हो क्या, अंधकार से हो वाबस्ता, दीपक बिना दीवाली हो क्या, खिले चाँद सा लगता चेहरा, घर आई खुशहाली हो क्या, खेत में खड़ी हरे वस्त्रों में, तुम कोई हरियाली हो क्या, रोनी सी सूरत क्यों 'गुंजन', तुम भी कोई रुदाली हो क्या, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #खाली हो क्या#