रावण... क्या मात्र एक शब्द है या एक व्यक्तितव जिसने छल से हरण किया था जिसने स्त्री के सतीत्व पर कुठाराघात किया था वो रावण.. कहाँ मरा है अभी तक जितने दशहरा पुतला फूंका उसका उतनी बार उठ खड़ा हुआ है अपने सहस्त्र शरीर में प्राण भर कर राम के वेश में अभिशाप बनकर रावण... वास्तव में एक शब्द नहीं एक व्यक्तित्व हीं है जिसे धारण कर लिया है आज के राम का स्वरुप जो नेस्तनाबूद करना चाहता है एक स्त्री के गौरव को बालिका के रूप में सकुचाई सीता को. बंद कमरे में सिसकती सीतायें भेद नहीं पा रही लक्ष्मण रेखा को अपने अस्तित्व को बचाने के लिए कैसे पुकारे राम को जब रावण ही हो राम के वेश में --अभिषेक राजहंस रावण... रावण… क्या मात्र एक शब्द है या एक व्यक्तितव जिसने छल से हरण किया था जिसने स्त्री के सतीत्व पर कुठाराघात किया था वो रावण..