#रक्स रक्स कर क़ायनात ये जिंदगी चला रही इशारों पर उँगलियों के हमको नचा रही। कदमों की थापों में थिरकती हैं साँसे यहाँ ख़ामोशी भरे महफिलों की रौनकें बढ़ा रही रक्कासा-ए-क़ायनात लेना इम्तिहान जानती अदाओं से कैसे जारी करना फरमान जानती। बेवकूफ़ वो हैं शम्मा के जो परवाने बन जातें वो तो गिरती बिजलियों के अंजाम जानती हैं। वक्त रहते अक्ल का करना इस्तेमाल जान लो ताल से ताल मिला क़ायनात को गुरु मान लो। ©अलका मिश्रा ©alka mishra #रक्स