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रचना दिनांक 22फरवरी 2025 वार शनिवार, समय सुबह पां

रचना दिनांक 22फरवरी 2025
वार  शनिवार,
समय सुबह पांच बजे
्भावचित्र ्
्निज विचार ्
््शीर्षक ््
््प्रेम और बिछोह प्यार में बदल रहे रंग में रंगे हुए
जीवन चरित्र पल अनमोल वचन क्षण है ््
्््
 जो इस सरजमीं पर जिंदगी को,
 हमेशा याद करती है,,
 वो जिंदगी से जुड़ी है हर कोई ,
यादें,,ताजा हो जाती है तेरे ख्यालों में ।1।
गम है ही वो जो लफ्जो की तन्हाई में बैठे हुए ,,
सूरो में सांज देते है।2।
 उस वक्त के तराने सुहाने चेहरे पर वो 
मुस्कान मन्द अधर पर ख्यालात ले जाती है,,
चंद सवाल इतिहास की दरख्तो से
अपनी रूह में दफ़न हो जाते हैं ।3।
कुछ नसीब वाले आम खास झलकियां,,
 खास से आयना नज़रिया सहज महज़
प्रेम का मकबरा या फिर किसी यादों में खो गई।4।
 मयखाने में किसी माशूका और माशूक की शायरी
 ग़ज़ल नज़्म अल्फाज़ नगीना ,,
दिल से दिल में,एक गहरी सांस लें,
वो लफ्जो चीख में तब्दील हो गई।5।
 हो प्यारा सा लज़ीज़ प्रेम का सिपारा बनाकर ,,
दिल की दहलीज पर जिंदगी के क़दम से
 क़दम मिलाकर चलते मगर खुद ख्याल में
ैॅ्ॅमै कुछ किसी भी लम्हे में खो गया हूं ।6।
जैसे किसी नादान सी शरारतें नज़रों में,,
सबको अपनी रूह में खुद से खूद में समा गई।7।
वो आग चिन्गारियां दिल में दहकते अंगारों पर
चलना किसी अग्नि में जलकर ताम्ब‌‌‌ लाल हो गई,,
चंद ही सुन्दर छबि में आंखें खोल कर 
देखें सपनो में प्रेम शब्द की शब्दावली में,
लाल डोरे लालरंग से सुहाग का सिन्दूर बन गई 
मेरे प्रेम आनंद की वो लफ्जो की डौली।8।
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््
22 फरवरी। 2025

©Shailendra Anand  लव स्टोरी Entrance examination Extraterrestrial life 
्््््कवि शैलेंद्र आनंद
रचना दिनांक 22फरवरी 2025
वार  शनिवार,
समय सुबह पांच बजे
्भावचित्र ्
्निज विचार ्
््शीर्षक ््
््प्रेम और बिछोह प्यार में बदल रहे रंग में रंगे हुए
जीवन चरित्र पल अनमोल वचन क्षण है ््
्््
 जो इस सरजमीं पर जिंदगी को,
 हमेशा याद करती है,,
 वो जिंदगी से जुड़ी है हर कोई ,
यादें,,ताजा हो जाती है तेरे ख्यालों में ।1।
गम है ही वो जो लफ्जो की तन्हाई में बैठे हुए ,,
सूरो में सांज देते है।2।
 उस वक्त के तराने सुहाने चेहरे पर वो 
मुस्कान मन्द अधर पर ख्यालात ले जाती है,,
चंद सवाल इतिहास की दरख्तो से
अपनी रूह में दफ़न हो जाते हैं ।3।
कुछ नसीब वाले आम खास झलकियां,,
 खास से आयना नज़रिया सहज महज़
प्रेम का मकबरा या फिर किसी यादों में खो गई।4।
 मयखाने में किसी माशूका और माशूक की शायरी
 ग़ज़ल नज़्म अल्फाज़ नगीना ,,
दिल से दिल में,एक गहरी सांस लें,
वो लफ्जो चीख में तब्दील हो गई।5।
 हो प्यारा सा लज़ीज़ प्रेम का सिपारा बनाकर ,,
दिल की दहलीज पर जिंदगी के क़दम से
 क़दम मिलाकर चलते मगर खुद ख्याल में
ैॅ्ॅमै कुछ किसी भी लम्हे में खो गया हूं ।6।
जैसे किसी नादान सी शरारतें नज़रों में,,
सबको अपनी रूह में खुद से खूद में समा गई।7।
वो आग चिन्गारियां दिल में दहकते अंगारों पर
चलना किसी अग्नि में जलकर ताम्ब‌‌‌ लाल हो गई,,
चंद ही सुन्दर छबि में आंखें खोल कर 
देखें सपनो में प्रेम शब्द की शब्दावली में,
लाल डोरे लालरंग से सुहाग का सिन्दूर बन गई 
मेरे प्रेम आनंद की वो लफ्जो की डौली।8।
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््
22 फरवरी। 2025

©Shailendra Anand  लव स्टोरी Entrance examination Extraterrestrial life 
्््््कवि शैलेंद्र आनंद