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यूँ वक्त भी हमें क्यो देता भी सिसकियाँ हैं। गम मे

यूँ वक्त भी हमें क्यो देता भी सिसकियाँ हैं।
गम मे कहाँ दिखेंगी फूलों पे शोखियाँ हैं। 

बच्चो को साथ रखना,गुलशन है आजकल के।
वो घर भरा खुशी से जिसमे कहानियाँ हैं।

कहते सभी हमे भी रखना ख्याल सबका।
आ सीख हम भी ले ले करना न गलतियाँ हैं।

क्यो चाँद आज हमको आँखें बड़ी दिखाये।
आ जाये जब जमीं पे करता वो मस्तियाँ हैं।

फूलों पे अब दिखी हैं कलियाँ भी अब खिली सी।
लायी हैं हौसला भी हरहाल बेटियाँ हैं।

मरते हैं भूख से सब,फैली बे-रोजगारी।
बस भूख से तड़फती बेहाल बस्तियाँ हैं।गिरह

स्वरचित..✍️
रीतागुलाटी ऋतंभरा

©ऋतु गुलाटी ऋतंभरा
  #mango गजल पेशखिदमत है रीतागुलाटी की चंडीगढ़ से।

#mango गजल पेशखिदमत है रीतागुलाटी की चंडीगढ़ से। #शायरी

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