कभी-कभी प्रेम की गलियों में भी बैचेन हो जाता हूं, होता है सब कुछ पास फिर भी हैरान हो जाता हूं । असल में तो यह दुनिया बड़ी अजीब सी है , कई बार रिश्तों को भी देखकर उलझन सी हो जाती है। चुगलियां करते हैं आपस में सब लोग यहां , बहुत बार मुझे यह दुनिया ढोंग सी लगती है । मरने से पहले यहां देता नहीं कोई पानी का गिलास यहां मरने के बाद झूठे आंसुओं की फुहार सी लगती है। पता नहीं क्यों कब कैसे हो जाता है , इस दुनिया से उठकर मेरा मन फकीर सा हो जाता है। कभी-कभी प्रेम की गलियों में भी बैचेन हो जाता हूं, होता है सब कुछ पास फिर भी हैरान हो जाता हूं । असल में तो यह दुनिया बड़ी अजीब सी है , कई बार रिश्तों को भी देखकर उलझन सी हो जाती है। चुगलियां करते हैं आपस में सब लोग यहां , बहुत बार मुझे यह दुनिया ढोंग सी लगती है ।