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मेरे होने या न होने से कोई फर्क नही पड़ता न मैं तुम

मेरे होने या न होने से
कोई फर्क नही पड़ता न
मैं तुम्ही से ये पूछ रहा
सुन रही हो न तुम
कभी तो तुम मेरी
आहट को पहचानती थी
अब करीब से गुजर जाऊं
तो लगता कोई  नही मैं
संभव है शिकायते 
हज़ार होगी तुम्हारी
वो मेरा भी हो सकता है
लेकिन क्या ये सब कुछ
सच का है या फिर
कह दो न अब
वो बाली बात नही रही
पता नही क्यों इच्छा होती
मेरे स्पर्श का एहसास
तू फिर से महशुस करती
कहती अब भी तुम नही बदले
हरकते सब कुछ पुरानी वाली
हा और भी बहुत कुछ
गलत समझी ये हवस नही 
कहती जानता हूँ 
ये मन की पाकीज़गी
ताउम्र अंदर रहेगा 
दरख्वास्त इसे बचाये रखना
क्योंकि ये साथ रहेगी
सांसो के थमने तक
जिसे शायद ही कोई
समझेगा शिवाय मेरे और तुम्हारे

©ranjit Kumar rathour
  तेरे मेरे अंदर

तेरे मेरे अंदर #लव

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