पापा आपके बगैर जीवन क़ी कल्पना मात्र से डर जाता हुँ हर परेशानियों के हल थे आप आज तो आज कल थे आप इतनी हिम्मत नहीं जुटा पाया आपसे नजर भी मिला सकूँ इतना साहस नहीं था मुझमे आपसे खुल कर बतिया सकूँ हर निर्णय पत्थर क़ी लकीर थी हमें मलाल नहीं हैँ इस बात का क्योंकि हर फैसला आदेश था और हर आदेश अचूक था सो कभी सोचा नहीं बस एक ही सत्य हैँ कि अब तेरे बगैर हमारा क्या होगा और एक आरजू हैँ कि आप रहना हम मे हम सबमे एक आदेश बनकर शब्द मेरे हमारे हो लेकिन आदेश आपके जिससे आपकी बगिया आपकी पसंद की रहे और हम उसके फूल बन खिलते रहे ©ranjit Kumar rathour पापा आपके बगैर!