संग रहे अर्धांगिनी , लेकर हाथ गुलाल । प्रीति-प्रीति में मैं करूँ, आगे अपने गाल ।। रंगों अपनी प्रीति से , तुम अब मेरे अंग । बहका-बहका मैं रहूँ , जैसे पीकर भंग ।। फाग मनाएंगे सजन , आज तुम्हारे संग । तुम बिन जीवन में नही , देखो कोई रंग ।। प्रीति रंग जबसे चढ़ा , हो गई मैं मलंग । उडती रहती संग में , जैसे डोर पतंग ।। संग तुम्हारे हो सदा , सुनो सभी त्यौहार । तुम पर ही छलके सदा , निशिदिन मेरा प्यार ।। खट पट तो होती रहे , रहे सदा जो साथ । प्रीत बढायेगी यही , छोड़ न मेरा हाथ ।। ०७/०३/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR संग रहे अर्धांगिनी , लेकर हाथ गुलाल । प्रीति-प्रीति में मैं करूँ, आगे अपने गाल ।। रंगों अपनी प्रीति से , तुम अब मेरे अंग । बहका-बहका मैं रहूँ , जैसे पीकर भंग ।। फाग मनाएंगे सजन , आज तुम्हारे संग । तुम बिन जीवन में नही , देखो कोई रंग ।।