Nojoto: Largest Storytelling Platform

संग रहे अर्धांगिनी , लेकर हाथ गुलाल । प्रीति-प्रीत

संग रहे अर्धांगिनी , लेकर हाथ गुलाल ।
प्रीति-प्रीति में मैं करूँ, आगे अपने गाल ।।

रंगों अपनी प्रीति से ,  तुम अब मेरे अंग ।
बहका-बहका मैं रहूँ , जैसे पीकर भंग ।।

फाग मनाएंगे सजन , आज तुम्हारे संग ।
तुम बिन जीवन में नही , देखो कोई रंग ।।

प्रीति रंग जबसे चढ़ा , हो गई मैं मलंग ।
उडती रहती संग में , जैसे डोर पतंग ।।

संग तुम्हारे हो सदा , सुनो सभी त्यौहार ।
तुम पर ही छलके सदा , निशिदिन मेरा प्यार ।।

खट पट तो होती रहे , रहे सदा जो साथ ।
प्रीत बढायेगी यही , छोड़ न मेरा हाथ ।।

०७/०३/२०२३       -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR संग रहे अर्धांगिनी , लेकर हाथ गुलाल ।
प्रीति-प्रीति में मैं करूँ, आगे अपने गाल ।।

रंगों अपनी प्रीति से ,  तुम अब मेरे अंग ।
बहका-बहका मैं रहूँ , जैसे पीकर भंग ।।

फाग मनाएंगे सजन , आज तुम्हारे संग ।
तुम बिन जीवन में नही , देखो कोई रंग ।।
संग रहे अर्धांगिनी , लेकर हाथ गुलाल ।
प्रीति-प्रीति में मैं करूँ, आगे अपने गाल ।।

रंगों अपनी प्रीति से ,  तुम अब मेरे अंग ।
बहका-बहका मैं रहूँ , जैसे पीकर भंग ।।

फाग मनाएंगे सजन , आज तुम्हारे संग ।
तुम बिन जीवन में नही , देखो कोई रंग ।।

प्रीति रंग जबसे चढ़ा , हो गई मैं मलंग ।
उडती रहती संग में , जैसे डोर पतंग ।।

संग तुम्हारे हो सदा , सुनो सभी त्यौहार ।
तुम पर ही छलके सदा , निशिदिन मेरा प्यार ।।

खट पट तो होती रहे , रहे सदा जो साथ ।
प्रीत बढायेगी यही , छोड़ न मेरा हाथ ।।

०७/०३/२०२३       -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR संग रहे अर्धांगिनी , लेकर हाथ गुलाल ।
प्रीति-प्रीति में मैं करूँ, आगे अपने गाल ।।

रंगों अपनी प्रीति से ,  तुम अब मेरे अंग ।
बहका-बहका मैं रहूँ , जैसे पीकर भंग ।।

फाग मनाएंगे सजन , आज तुम्हारे संग ।
तुम बिन जीवन में नही , देखो कोई रंग ।।

संग रहे अर्धांगिनी , लेकर हाथ गुलाल । प्रीति-प्रीति में मैं करूँ, आगे अपने गाल ।। रंगों अपनी प्रीति से , तुम अब मेरे अंग । बहका-बहका मैं रहूँ , जैसे पीकर भंग ।। फाग मनाएंगे सजन , आज तुम्हारे संग । तुम बिन जीवन में नही , देखो कोई रंग ।। #कविता