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रहो न झूठी सच्ची दास्ताँ सुनाने में। किसी की

रहो  न  झूठी  सच्ची  दास्ताँ  सुनाने  में।
किसी की कोशिशों पे ऊंगलियाँ उठाने में।
बराबरी  करो  कोशिश  ईमानदार करो-
ख़ुदा भी साथ देगा आसमाँ झुकाने में।

लगे  रहोगे  जो  तुम  कश्तियाँ डुबाने में।
कि डूब जाओगे ख़ुद भी भँवर बनाने में।
चलो मिलाके क़दम हाथ थामकर सबका-
हुनर  न  ज़ाया  करो  दुश्मनी निभाने में।

लगा  रहे  हो  जो  ताक़त  हमें  हराने  में।
वही ताक़त लगाओ कामयाबी पाने  में। 
तवज्जो थोड़ी अपने काम पर अगर दोगे-
तुम्हारा  नाम  भी  होगा  बड़ा  ज़माने  में।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©Ripudaman Jha Pinaki #नसीहत
रहो  न  झूठी  सच्ची  दास्ताँ  सुनाने  में।
किसी की कोशिशों पे ऊंगलियाँ उठाने में।
बराबरी  करो  कोशिश  ईमानदार करो-
ख़ुदा भी साथ देगा आसमाँ झुकाने में।

लगे  रहोगे  जो  तुम  कश्तियाँ डुबाने में।
कि डूब जाओगे ख़ुद भी भँवर बनाने में।
चलो मिलाके क़दम हाथ थामकर सबका-
हुनर  न  ज़ाया  करो  दुश्मनी निभाने में।

लगा  रहे  हो  जो  ताक़त  हमें  हराने  में।
वही ताक़त लगाओ कामयाबी पाने  में। 
तवज्जो थोड़ी अपने काम पर अगर दोगे-
तुम्हारा  नाम  भी  होगा  बड़ा  ज़माने  में।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©Ripudaman Jha Pinaki #नसीहत