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ज़ब सारा अस्तित्व बिना अर्थ के हो सकता हैँ ये च

ज़ब सारा  अस्तित्व  बिना अर्थ के  हो सकता हैँ 
ये चाँद  तारे बिना   किसी उदेश्य   ब्रह्माण्ड  की परिक्रमा   कर रहे  हैँ 
फूल  बिना किसी कारण जंगल  मे  खिल  सकते    हैँ  ज़ब 
फिर  परमात्मा  के होने     न होने पर क्यों  प्रश्न चिन्ह   इतने  लगाए  जा रहे हैँ 
फिरमेरी  इस निरर्थक  कविता मे  अर्थ  ढूँढने   के  लिए  क्यों इतना सर   खपाया  जा रहा हैँ निरर्थक  कविता
ज़ब सारा  अस्तित्व  बिना अर्थ के  हो सकता हैँ 
ये चाँद  तारे बिना   किसी उदेश्य   ब्रह्माण्ड  की परिक्रमा   कर रहे  हैँ 
फूल  बिना किसी कारण जंगल  मे  खिल  सकते    हैँ  ज़ब 
फिर  परमात्मा  के होने     न होने पर क्यों  प्रश्न चिन्ह   इतने  लगाए  जा रहे हैँ 
फिरमेरी  इस निरर्थक  कविता मे  अर्थ  ढूँढने   के  लिए  क्यों इतना सर   खपाया  जा रहा हैँ निरर्थक  कविता

निरर्थक कविता