करे उन्होंने सात शृंगार ꫰ उस बिंदी का है थोड़ा मलाल ꫰꫰ पेशानी पे मांगटीका , करता बवाल ꫰ गले का हार, करे लाखो सवाल ꫰ लाल सूट उनपर , करता कमाल ꫰ घुंघराले बालों, को मुश्किलों से संभाल ꫰ आँखें बने जो, खु़दा का बिलाल ꫰ काजल उसमे, जैसे दो धरी तलवार ꫰ कानो का झूमका, वो गर्दन चुमता ꫰ गुलाबी लब पर, वो हलकी सी मुस्कान ꫰ बतायो यारो, कैसे हम लेते, यहां खुद को संभाल ꫰ ©Jayesh gulati पेशानी पे मांगटीका , करता बवाल ꫰❤ . . . . . .