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आओ कभी मजहबी चोला उतार कर देंखे जहाँ को, सुकून ऐतब

आओ कभी मजहबी चोला उतार कर देंखे जहाँ को,
सुकून ऐतबार से भरा हैं गुलशन भी इस जहाँ का।

©Kamlesh Kandpal
  #gulshan