साथी न कारवाँ है, ये तेरा इमतहाँ, यूँ ही चला-चल दिल के सहारे, करती है मंजिल तुझकाे इशारे, देख कहीं काेइ राेक नहीं ले,तुझकाे पुकार के। ओ राही..... ओ राही ..... ओ राही...ओ राही....