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राष्ट्रहित सर्वोपरि कर्त्तव्य कर दिनमान बनकर, सफलत

राष्ट्रहित सर्वोपरि कर्त्तव्य कर दिनमान बनकर,
सफलता चेहरे पे खिलती है सदा मुस्कान बनकर,

दया,करुणा,भाईचारा हो यही नाता हमारा,
रहे मानवता हृदय में जीऊँ मैं इन्सान बनकर,

आए खाली हाथ जायेंगे यहीं पर छोड़कर सब,
लोभ-लालच में परस्पर जी रहे हैवान बनकर,

प्रकृति ने सबकुछ दिया ऊँचे उठो तुम आसमाँ में,
हो सफल जीवन उड़ो नभ में अदद विमान बनकर,

जाति,मज़हब,धर्म की दीवार से ऊपर पहुँचकर,
करो तुम कल्याण सबके दिलों में श्रीमान बनकर,

छोड़कर पदचाप अपने जाओगे जब इस जहाँ से,
रहोगे जिन्दा सभी के दिलों में रहमान बनकर,

हैं मुसाफ़िर चंद दिन के इस धरा पर सभी प्राणी,
रहो मिल-जुलकर सभी से जिओ तुम मेहमान बनकर,

करो कुछ ऐसा कि रह जाए नहीं अफसोस मन में,
फैसला एकदिन सुनाएंगे प्रभु दीवान बनकर,

फूल हैं इस चमन के सबसे अलहदा ख़ूबसूरत,
सजो गुलदस्ते में 'गुंजन' जिओ हिन्दुस्तान बनकर,
- शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #जिओ हिन्दुस्तान बनकर#
राष्ट्रहित सर्वोपरि कर्त्तव्य कर दिनमान बनकर,
सफलता चेहरे पे खिलती है सदा मुस्कान बनकर,

दया,करुणा,भाईचारा हो यही नाता हमारा,
रहे मानवता हृदय में जीऊँ मैं इन्सान बनकर,

आए खाली हाथ जायेंगे यहीं पर छोड़कर सब,
लोभ-लालच में परस्पर जी रहे हैवान बनकर,

प्रकृति ने सबकुछ दिया ऊँचे उठो तुम आसमाँ में,
हो सफल जीवन उड़ो नभ में अदद विमान बनकर,

जाति,मज़हब,धर्म की दीवार से ऊपर पहुँचकर,
करो तुम कल्याण सबके दिलों में श्रीमान बनकर,

छोड़कर पदचाप अपने जाओगे जब इस जहाँ से,
रहोगे जिन्दा सभी के दिलों में रहमान बनकर,

हैं मुसाफ़िर चंद दिन के इस धरा पर सभी प्राणी,
रहो मिल-जुलकर सभी से जिओ तुम मेहमान बनकर,

करो कुछ ऐसा कि रह जाए नहीं अफसोस मन में,
फैसला एकदिन सुनाएंगे प्रभु दीवान बनकर,

फूल हैं इस चमन के सबसे अलहदा ख़ूबसूरत,
सजो गुलदस्ते में 'गुंजन' जिओ हिन्दुस्तान बनकर,
- शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #जिओ हिन्दुस्तान बनकर#