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पहला स्पर्श यूं सरख़ कर हाथ तेरा, मेरे जी से जा ल

पहला स्पर्श 

यूं सरख़ कर हाथ तेरा, मेरे जी से जा लगा, 
बात जो दबी हुई थी झट जुबां पर आ गई।
लब कांपते हैं तुम्हारे, कहना कुछ हमको भी है, 
खामोशी में सांसे अपनी, कोई गीत गुनगुना गई।

नज़रें तेरी झुकी रही, मेरी भी अटकी रही, 
दरमयां के दायरे सारे खुद-ब-खुद सीमटते गए, 
नजरें तेरी उठी, फिर मैं भी कुछ घबरा गया, 
हौले हौले हाथ तेरा, मेरे हाथों में आ गया। 

लहू में रवानी थी, आंखों में कुछ कहानी थी, 
घुमड़ आये बदरा, मैं बरसता गया तू भीगती रही 
मैं बरसता गया तू भीगती रही..
मैं बरसता गया तू भीगती रही..
 #प्रेमी #मूलाकात
पहला स्पर्श 

यूं सरख़ कर हाथ तेरा, मेरे जी से जा लगा, 
बात जो दबी हुई थी झट जुबां पर आ गई।
लब कांपते हैं तुम्हारे, कहना कुछ हमको भी है, 
खामोशी में सांसे अपनी, कोई गीत गुनगुना गई।

नज़रें तेरी झुकी रही, मेरी भी अटकी रही, 
दरमयां के दायरे सारे खुद-ब-खुद सीमटते गए, 
नजरें तेरी उठी, फिर मैं भी कुछ घबरा गया, 
हौले हौले हाथ तेरा, मेरे हाथों में आ गया। 

लहू में रवानी थी, आंखों में कुछ कहानी थी, 
घुमड़ आये बदरा, मैं बरसता गया तू भीगती रही 
मैं बरसता गया तू भीगती रही..
मैं बरसता गया तू भीगती रही..
 #प्रेमी #मूलाकात