पहला स्पर्श यूं सरख़ कर हाथ तेरा, मेरे जी से जा लगा, बात जो दबी हुई थी झट जुबां पर आ गई। लब कांपते हैं तुम्हारे, कहना कुछ हमको भी है, खामोशी में सांसे अपनी, कोई गीत गुनगुना गई। नज़रें तेरी झुकी रही, मेरी भी अटकी रही, दरमयां के दायरे सारे खुद-ब-खुद सीमटते गए, नजरें तेरी उठी, फिर मैं भी कुछ घबरा गया, हौले हौले हाथ तेरा, मेरे हाथों में आ गया। लहू में रवानी थी, आंखों में कुछ कहानी थी, घुमड़ आये बदरा, मैं बरसता गया तू भीगती रही मैं बरसता गया तू भीगती रही.. मैं बरसता गया तू भीगती रही.. #प्रेमी #मूलाकात