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वो रूठा ऐसा कि फिर मनाने का दिन नही आया मिला तो नह

वो रूठा ऐसा कि फिर मनाने का दिन नही आया
मिला तो नही, फिर भी याद बेशुमार आया
मैं खोजता रहा उसे गली मोहल्ले में
 लेकिन चांद मुझे नज़र तक नही आया

©Bhupendra Rawat
  वो रूठा ऐसा कि फिर मनाने का दिन नही आया
मिला तो नही, फिर भी याद बेशुमार आया
मैं खोजता रहा उसे गली मोहल्ले में
 लेकिन चांद मुझे नज़र तक नही आया

वो रूठा ऐसा कि फिर मनाने का दिन नही आया मिला तो नही, फिर भी याद बेशुमार आया मैं खोजता रहा उसे गली मोहल्ले में लेकिन चांद मुझे नज़र तक नही आया #शायरी

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