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केवट की चतुराई अखिल ब्रह्माण्ड का सुख, केवट ने ,

केवट की चतुराई 

अखिल ब्रह्माण्ड का सुख,
केवट ने ,क्षणभर में कमाईं ।
नाव चढ़ाई का कीमत केवट ने,
मांगा केवल पैर धुलाई।
धन्य बनाया भाग्य अपना।
तीनों लोक में कृति बनाई।
बड़े चतुराई से केवट ने।
केवल केवल्य प्रेम पाईं।

©Narendra kumar
  #SunSet
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Narendra kumar

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#SunSet #Poetry

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