ये मंज़िल शायद उतनी आसान नहीं होगी , जितनी शायद नज़र आ रही है , अभी तो अड़चनों का समंदर भी आएगा , हमें लहरों की तरह भी रखना होगा , और संकल्प से आगे बढ़ते चलना होगा , जब तक वो मंज़िल ना मिले और , चेहरे पर मुस्कान ना आ जाए ।। कहा था मैंने मगर तुम कहाँ मानने वाले। अब भुगतो। एक ऐसी ही बातचीत दर्ज करें। Collab करें YQ Didi के साथ। #कहाथामैंने