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मैं शब्द हूँ, वर्ण ढूंढते खुद का अर्थ, हो जाते हैं

मैं शब्द हूँ,
वर्ण ढूंढते खुद का अर्थ,
हो जाते हैं समाहित जब ,
वो मैं समवेत नाद हूँ ,
मैं आह्लाद हूँ अवसाद हूँ ,
कितने वर्णों की अपेक्षा ,
कितने के अनकहे उन्माद हूँ ,
कुछ आधे कुछ शांत भी, 
कुछ उत्साहित तो कुछ क्लांत भी,
अपने अपने नाद से जब ,
कुछ तलफ्फुस में हैं लड़खड़ाते,
ये वर्ण मुझे मेरी आवाज़ से हैं मिलाते ।।

©Dinesh Paliwal #ARTH #pechan
मैं शब्द हूँ,
वर्ण ढूंढते खुद का अर्थ,
हो जाते हैं समाहित जब ,
वो मैं समवेत नाद हूँ ,
मैं आह्लाद हूँ अवसाद हूँ ,
कितने वर्णों की अपेक्षा ,
कितने के अनकहे उन्माद हूँ ,
कुछ आधे कुछ शांत भी, 
कुछ उत्साहित तो कुछ क्लांत भी,
अपने अपने नाद से जब ,
कुछ तलफ्फुस में हैं लड़खड़ाते,
ये वर्ण मुझे मेरी आवाज़ से हैं मिलाते ।।

©Dinesh Paliwal #ARTH #pechan