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Unsplash कभी मन भूत, बेताल दुर्जन बने, कभी मन साधु

Unsplash कभी मन भूत, बेताल दुर्जन बने,
कभी मन साधु-संत, सज्जन बने।
कभी मन चारों धाम घूमे,
कभी मन सुनसान श्मशान घूमे।
कभी मन प्रेम-रस में डूबे,
कभी मन नफरत-कष्ट में डूबे।
कभी मन सही-गलत का विचार न करे,
कभी मन मरा पड़ा, कुछ विचार न करे।

©Narendra kumar #Book
Unsplash कभी मन भूत, बेताल दुर्जन बने,
कभी मन साधु-संत, सज्जन बने।
कभी मन चारों धाम घूमे,
कभी मन सुनसान श्मशान घूमे।
कभी मन प्रेम-रस में डूबे,
कभी मन नफरत-कष्ट में डूबे।
कभी मन सही-गलत का विचार न करे,
कभी मन मरा पड़ा, कुछ विचार न करे।

©Narendra kumar #Book