पाने और खोने के बीच एक झरोंखा है, बाहर झांकों तो जीवन नज़र आता है। वहां सबका सब कुछ है और सबका कुछ भी नहीं। वहां स्थिर और अस्थिर के बीच फासला समझ आता है। #झरोखा