चलो,आज बता ही देता हूँ कब से दबाकर रखा हूँ अपने जज्बातों पे कुंडी लगाकर आज उसे आजाद कर ही देता हूँ उकेरी जा चुकी थी तुम और तुम्हारा साथ मेरे हाथ की लकीरों में शायद इसलिए तुमसे मिलना इत्तेफ़ाक़ नहीं था देखो, इतना आसान भी नहीं था मेरे लिए तुम्हे अपने भीतर शामिल कर पाना दो साल होने को आये है हर रोज, तुम्हे देखकर जो ख्याल आते थे चलो,आज बता ही देता हूँ हाँ, पहली नजर में ही अच्छी लगी थी तुम मैं चाहता तो था कि कुछ कहूँ तुम्हे पर कभी सही मौका नहीं मिला तो कभी हिम्मत जुटा न पाया आज थोड़ा सी हिम्मत जुटा कर तुम्हे बता ही देता हूँ, देखो, मुझे सच में नही पता था की तुम भी मुझे नोटिस करती थी पर हाँ, जब से तुम दिखी ना मैं बस तुम्हे देख कर लिखने लगा था अपने आप को बहुत बड़ा कवि या शायर समझने लगा था तुमसे हुई बातें,मुलाकातें सब अपनी आँखों मे कैद करने लगा था तुम्हारा मुस्कुराना,अपने बालों में उँगलियाँ घुमाना सब नोटिस करने लगा था सोचा नहीं था कभी तुमसे दोस्ती हो पाएगी मेरी तुमसे कह पाऊंगा ये सब पर आज,जब तुम समझने लगी हो मुझे और मैं भी महसूस करने लगा हूँ तुम्हे तो फिर बता ही देता हूँ चलो,आज बता ही देता हूँ–अभिषेक राजहंस #NojotoQuote चलो,आज बता ही देता हूँ