मोती बहुत हैं बिखरे पड़े हैं, पिरोने पड़ेंगें बटोरने मै दूंगी नहीं। कतरा कतरा है जाम दर जाम ज़िन्दगी, पीनी पड़ेगी, बोतल में मय समेटने दूंगी नहीं।