भीना भीना. महकता हुआ. ये प्रेम कितना तरल और सरल हैँ अनंत हैँ ऊर्जा उसकी ज़ो सर्वकालिक हैँ सर्व व्यापी हैँ ज़ो मंगल कारी हैँ और सुखद भी तभी तो जिंदगी नाम का चूल्हा हर दम धधकता रहा हैँ और संतोष की रोटी जीवनभर मिलती रही हैँ ©Parasram Arora महकता हुआ प्रेम