आकाश मे उड़ते हुए परिंदे की उड़ान को. मैंने ललचाई नज़रों से देख लिया और मैंने उनसे प्रेरित होकर अपने पँख उड़ने क़े लिए खोल दिए थे पर ये क्या हुआ कि अचानक मेरे पंखो ने मुझे आकाश से धरती की तरफ धकेल दिया था और मैं अपने नींड की मुंडेर पर बैठ कर अपने नीड की ओर वातसल्य भाव से देखने लगा था जहाँ मेरे नवजात चूजे उस घोंसले से बाहर निकल कर उड़ान भरने का प्रयास करने क़े लिए अपने उन नन्हें पंखो मे हवा भरने को ततपर दिख रहे थे मैं ये देख भय भीत हो उठा था और सोचने लगा कि इन चूजों की व्यसकता और इनके पंखो की सूद्रड़ता एक दिन इन्हे मुझसे बहुत दूर ले जायेगी और मुझे पहले की तरह अपना बचा खुचा जीवन ऐकान्तवास मे गुज़ारने क़े लिए विवश होना पड़ेगा ©Parasram Arora ऐकान्तवास......