काग कटु का परियचायक, पिक गीत मधुर सुनाती है.... शुभ प्रभात का उगता सूरज, शाम चाँदनी छाती है....!! शीत पवन सी तू है मुझमे, राहत मुझे दिलाती है..... मैं रह लूं बिन सांसों के मगर, पर तेरी याद सताती है..!!!! रूठी जब जब तू मुझसे, ये बिजली तब तब चमकी है..... जब भी भाव गिरे सोने के, चांदी तब तब दमकी है.....!! पहनावे की बात ही क्या, तू हूर परी से कब कम थी.... पीहर से तू ना लौटोगी, ये कैसी अब धमकी है....!!!! अर्पित द्विवेदी. #यादआतीहै #मायकेसेलौटना #रहा_नहीं_जाता