जब मैं चला जाऊंगा इस शहर को छोड़ कर तो तुझको और इस शहर को बहूत याद आऊंगा तुम खोजते रहोंगे मेरे-सा राहगुजर लौट कर भी वापस , यहां ना आ पाऊंगा तुम चाह कर भी भूल न सकोगे हमको मैं ऐसा जिंदा शहर बनारस बन याद आऊंगा आज हैं गुरूर न तुम्हें , इन गलियों का मैं तन्हाई में घाट बनकर ही तेरे पास आऊंगा तुम हो न इन घाट-सा कुछ दृढ़ निश्चायी मैं लहरों-सा, तेरे पास से होकर गुजर जाऊंगा तुम अभी हो नासमझ मेरे इस याराने से मैं समझ तुम्हें , उस ठोकर के बाद आऊंगा हां....तुम हमे ढूंढोगे मन्दिर ,घाट और चौराहों पर मैं तुम्हें नज़र मणिकर्णिका के राख में आऊंगा पाओगे सफ़र में जब अकेला खुद को तो मैं वो हमसफर बन के याद आऊंगा जब तुम समझ जाओगे , दस्ताने-ए-हिज्र तो उस रात मिलने , तारों के साथ आऊंगा ©Shivanay #Quote #Poet #Shayari #untold #gazal #Her