सियाराम को उर धारने वाले प्रभू प्रणाम है । भक्ती चरित को सँवारने वाले प्रभू प्रणाम है ।। फल सा समझ लिया आपने, रवि को पकड़ लिया आपने । छुटपन में ही लठ गाड़ने वाले प्रभू प्रणाम है ।।१।। सुग्रीव व्याकुल था बड़ा, ऋषिमूख गिरि पर था पड़ा । हरि से मिला दुःख काटने वाले प्रभू प्रणाम है ।।२।। सिय खोज कपि थकने लगे, सब प्राण को तजने लगे । क्षण में समुन्दर फाँदने वाले प्रभू प्रणाम है ।।३।। घननाद पापी था छली, शक्ती लखन तन आ लगी । गिर द्रोण को यूँ उखाड़ने वाले प्रभू प्रणाम है ।।४।। अहिरावना माया धनी, हर ले गया रघुकुलमनी । पाताल में धँस मारने वाले प्रभू प्रणाम है ।।५।। विश्वास ऐसा चाहिये, प्रभु दास ऐसा चाहिये । दरबार में हिय फाड़ने वाले प्रभू प्रणाम है ।।६।। सुन नाथ ओ आरत हरन, ये मंगलेश तेरी शरन । डूबे हुऐ को तारने वाले प्रभू प्रणाम है ।।७।। ©Manglesh Dutt श्री हनुमान वंदना