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दामन को फैलाये बैठे हैं अलफ़ाज़-ए-दुआ कुछ याद नही.

दामन को फैलाये बैठे हैं अलफ़ाज़-ए-दुआ कुछ याद नही.,
माँगू तो अब क्या माँगू जब तेरे सिवा कुछ याद नही...!! दामन को फैलाये बैठे हैं अलफ़ाज़-ए-दुआ कुछ याद नही.,
माँगू तो अब क्या माँगू जब तेरे सिवा कुछ याद नही...!!
दामन को फैलाये बैठे हैं अलफ़ाज़-ए-दुआ कुछ याद नही.,
माँगू तो अब क्या माँगू जब तेरे सिवा कुछ याद नही...!! दामन को फैलाये बैठे हैं अलफ़ाज़-ए-दुआ कुछ याद नही.,
माँगू तो अब क्या माँगू जब तेरे सिवा कुछ याद नही...!!
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