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कुछ पल मैं, वक्त से चुराती गई, अपने बटुए में , सब

कुछ पल मैं,
वक्त से चुराती गई, 
अपने बटुए में ,
सबसे छिपाती गई, 

खुश थी कि कुछ, 
पूँजी जमा हो गई, 
मेरे ख्वाहिशों की,
कीमत अदा हो गई, 

कभी फुर्सत से,
जोङूँगी अपना हिसाब, 
फिर खरँचूगी ,
वो पल मैं,
कभी बेहिसाब, 

उन पलों को
खर्चने के लिऐ, 
जब मैं चली,
तब तक मेरी ,
उम्र भी थी ढली,

पर बटुए में ढेर,
पल ही पल थे भरे,
मर चुके थे वो शौक,
जिनके लिए कभी,
वो पल थे धरे ।

©purvarth #चुराये हुए पल
कुछ पल मैं,
वक्त से चुराती गई, 
अपने बटुए में ,
सबसे छिपाती गई, 

खुश थी कि कुछ, 
पूँजी जमा हो गई, 
मेरे ख्वाहिशों की,
कीमत अदा हो गई, 

कभी फुर्सत से,
जोङूँगी अपना हिसाब, 
फिर खरँचूगी ,
वो पल मैं,
कभी बेहिसाब, 

उन पलों को
खर्चने के लिऐ, 
जब मैं चली,
तब तक मेरी ,
उम्र भी थी ढली,

पर बटुए में ढेर,
पल ही पल थे भरे,
मर चुके थे वो शौक,
जिनके लिए कभी,
वो पल थे धरे ।

©purvarth #चुराये हुए पल