उठो ऊंचा कि ऊंचाईयों का अलग ही लुत्फ़ है, यौवन की अंगड़ाईयों का अलग ही लुत्फ़ है। लड़ लेंगे लड़ने को लड़ाईयां कल भी लेकिन! अभी आज लड़ाईयों का अलग ही लुत्फ़ है। सच है कि बाज़ार में हैं बेईमानियों की चमक, ईमानदारों! अच्छाईयों का अलग ही लुत्फ़ है। ढोल नगाड़ों पे थाप रूसवा आशिक ही जाने, शादियों में शहनाईयों का अलग ही लुत्फ़ है। दिलों पर गज़लें शायरी राज करें भी तो क्या? रूह छूं लेती रुबाईयों का अलग ही लुत्फ़ है। झूठ बोल के तसल्ली मिल तो सकती है "हुड्डन" पर असल में सच्चाईयों का अलग ही लुत्फ़ है। ©एस पी "हुड्डन" #लुत्फ़ #FriendshipDay