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आज ठंडी- ठंडी पुरवाई तन को छू कर बही, तुम्हारी याद

आज ठंडी- ठंडी पुरवाई तन को छू कर बही,
तुम्हारी याद में अधरों पर मुस्कान बिखरी रही,
मुद्दतों बाद तबियत में आज रवानी आई थी,
तुम्हारी ख्वाहिश और जुस्तजू  में बेकरार  रही ।।
कनक लता जैन ✍️

©Kanak Lata Jain
  ठंडी ठंडी पुरवाई

ठंडी ठंडी पुरवाई #शायरी

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