अब झूठ को बेचना भी कितना सुगम हो गया हैँ अब स्वर्ण तुला पर तुली हुई हर नकली चीज भी असली लगती हैँ प्रदूषित हवाओं ने वातायन को भी ज़हरीला कर दिया हैँ अब तों हमारी वो साफ सुथरी सांस भी ज़हरीली लगती हैँ मृत्यु को खोजने के लिये इतना दूर जाने की क्या जरूरत हैँ क्या तुम जानते नही जिंदगी के लिबास के नीचे मत्यु पसरी हुई रहती हैँ ©Parasram Arora अब झूठ को भी.....