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आख़िरकार लेखक की मेहनत रंग लाई कल्पनाओं से गढ़ी इस क

आख़िरकार लेखक की मेहनत रंग लाई कल्पनाओं से गढ़ी इस कालोनी में सबने 
अपने निवास की स्वीकृति दे दी, साथ ही ईश्वर की असीम कृपा ऐसी हुई कि धीरे 
धीरे रचनाकार अपने परिवार के साथ रत्नाकर कालोनी में शिफ्ट होने लगे..देखते 
ही देखते सारे रतन रत्नाकर कालोनी में आन बसे...दिन-ब-दिन कालोनी की खूब
सूरती में चाँद सितारे जड़ते जाते और आज कालोनी अपनी चरम भव्यता लिये 
शहर से कुछ दूर जगमगा रही है,आज सुबह सुबह कालोनी के भ्रमण पर चल पड़ा, 
मुख्य द्वार में प्रवेश करते ही मानो शीतल मंद सुगंध लिये पवन के मनभावन झोंको
 ने लेखक  की अगुवाई की हो..मुख्य द्वार के बायीं ओर एक बरगद का पेड़ जिस पर 
बैठे पंछियों का कलरव लेखक को मंत्रमुग्ध करते हुये इस कालोनी के स्वर्णिम 
भविष्य को प्रेरित कर रहा है,आइये मेरे साथ इस अद्वितीय कालोनी पर एक दृष्टि 
डालते हैं...अगले पेज संख्या-2 पर

©R. Kumar #रत्नाकर कालोनी 

आख़िरकार लेखक की मेहनत रंग लाई कल्पनाओं से गढ़ी इस कालोनी में सबने अपने निवास की स्वीकृति दे दी, साथ ही ईश्वर की असीम कृपा ऐसी हुई कि धीरे धीरे रचनाकार अपने परिवार के साथ रत्नाकर कालोनी में शिफ्ट होने लगे..देखते ही देखते सारे रतन रत्नाकर कालोनी में आन बसे...दिन-ब-दिन कालोनी की खूबसूरती में चाँद सितारे जड़ते जाते और आज कालोनी अपनी चरम भव्यता लिये शहर से कुछ दूर जगमगा रही है,आज सुबह सुबह कालोनी के भ्रमण पर चल पड़ा, मुख्य द्वार में प्रवेश करते ही मानो शीतल मंद सुगंध लिये पवन के मनभावन झोंको ने कथाकार की अगुवाई की हो..मुख्य द्वार के बायीं ओर एक बरगद का पेड़ जिस पर बैठे पंछियों का कलरव लेखक को मंत्रमुग्ध करते हुये इस कालोनी के स्वर्णिम भविष्य को प्रेरित कर रहा है,आइये मेरे साथ इस अद्वितीय कालोनी पर एक दृष्टि डालते हैं... 
अगले पेज संख्या-2
आख़िरकार लेखक की मेहनत रंग लाई कल्पनाओं से गढ़ी इस कालोनी में सबने 
अपने निवास की स्वीकृति दे दी, साथ ही ईश्वर की असीम कृपा ऐसी हुई कि धीरे 
धीरे रचनाकार अपने परिवार के साथ रत्नाकर कालोनी में शिफ्ट होने लगे..देखते 
ही देखते सारे रतन रत्नाकर कालोनी में आन बसे...दिन-ब-दिन कालोनी की खूब
सूरती में चाँद सितारे जड़ते जाते और आज कालोनी अपनी चरम भव्यता लिये 
शहर से कुछ दूर जगमगा रही है,आज सुबह सुबह कालोनी के भ्रमण पर चल पड़ा, 
मुख्य द्वार में प्रवेश करते ही मानो शीतल मंद सुगंध लिये पवन के मनभावन झोंको
 ने लेखक  की अगुवाई की हो..मुख्य द्वार के बायीं ओर एक बरगद का पेड़ जिस पर 
बैठे पंछियों का कलरव लेखक को मंत्रमुग्ध करते हुये इस कालोनी के स्वर्णिम 
भविष्य को प्रेरित कर रहा है,आइये मेरे साथ इस अद्वितीय कालोनी पर एक दृष्टि 
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©R. Kumar #रत्नाकर कालोनी 

आख़िरकार लेखक की मेहनत रंग लाई कल्पनाओं से गढ़ी इस कालोनी में सबने अपने निवास की स्वीकृति दे दी, साथ ही ईश्वर की असीम कृपा ऐसी हुई कि धीरे धीरे रचनाकार अपने परिवार के साथ रत्नाकर कालोनी में शिफ्ट होने लगे..देखते ही देखते सारे रतन रत्नाकर कालोनी में आन बसे...दिन-ब-दिन कालोनी की खूबसूरती में चाँद सितारे जड़ते जाते और आज कालोनी अपनी चरम भव्यता लिये शहर से कुछ दूर जगमगा रही है,आज सुबह सुबह कालोनी के भ्रमण पर चल पड़ा, मुख्य द्वार में प्रवेश करते ही मानो शीतल मंद सुगंध लिये पवन के मनभावन झोंको ने कथाकार की अगुवाई की हो..मुख्य द्वार के बायीं ओर एक बरगद का पेड़ जिस पर बैठे पंछियों का कलरव लेखक को मंत्रमुग्ध करते हुये इस कालोनी के स्वर्णिम भविष्य को प्रेरित कर रहा है,आइये मेरे साथ इस अद्वितीय कालोनी पर एक दृष्टि डालते हैं... 
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