पत्नी हो या प्रेमलता ########### तुम्हारा वजन इतना कम क्यों है, खाट पर बैठे और पाटी टूट गए। तुम में दम इतना कम क्यों है, हाथ पकड़ेऔर सहपाठी रूठ गए। जिसकी सांसो की गर्मी कम है, वह धरती के अंदर सूत गए। पत्नी हो या प्रेमलता, तुम्हारे प्यार के धागे टूट गए। तुम्हारा दिल इतना नाजुक क्यों है, प्यार के रस्सी छूट गए। कभी तुम बोले , कभी वह बोली, तुझे पड़ोसी आकर पीट गए। मधुर बेला है, करलो फिर से प्यार , नफरत भरा पल अब बीत गए। धीरे-धीरे ही सही पर खुल गई आंखें, अब सब कुछ तुम सीख गए। तुम्हारा वजन इतना कम क्यों है, खाट पर बैठे और पाटी टूट गए। **************************** प्रमोद मालाकार की कलम से *************************** ©pramod malakar #Love पत्नी हो या प्रेमलता