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मैं अड़ा तट पड़ खड़ा हाथ मे खंजर लिए काया, जैसे विष्ण

मैं अड़ा तट पड़
खड़ा हाथ मे खंजर लिए
काया, जैसे विष्णु यशा
शोक निश्चित मंजर किये...

असीम-सीम से ऊपर
क्षितिज पवन नीर से परे
कीकटपुर सहस्त्रमुंडे
क्षुद्र संकीर्ण मेरे हत्थे चढ़े...

अनीति-अधर्म के साथी-राही
कपटी-कुंठित मस्तकधारी
सुनो आज!अंतिम साँसे ले लो
अब आ गया, मैं कल्कि नई जग-सृजनकारी... ©मैं कल्कि नई जग-सृजनकारी©

#mothertongue_verse
#yqdidi
#yqbaba
मैं अड़ा तट पड़
खड़ा हाथ मे खंजर लिए
काया, जैसे विष्णु यशा
शोक निश्चित मंजर किये...

असीम-सीम से ऊपर
क्षितिज पवन नीर से परे
कीकटपुर सहस्त्रमुंडे
क्षुद्र संकीर्ण मेरे हत्थे चढ़े...

अनीति-अधर्म के साथी-राही
कपटी-कुंठित मस्तकधारी
सुनो आज!अंतिम साँसे ले लो
अब आ गया, मैं कल्कि नई जग-सृजनकारी... ©मैं कल्कि नई जग-सृजनकारी©

#mothertongue_verse
#yqdidi
#yqbaba
arpitsingh5206

Arpit Singh

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