मैं अड़ा तट पड़ खड़ा हाथ मे खंजर लिए काया, जैसे विष्णु यशा शोक निश्चित मंजर किये... असीम-सीम से ऊपर क्षितिज पवन नीर से परे कीकटपुर सहस्त्रमुंडे क्षुद्र संकीर्ण मेरे हत्थे चढ़े... अनीति-अधर्म के साथी-राही कपटी-कुंठित मस्तकधारी सुनो आज!अंतिम साँसे ले लो अब आ गया, मैं कल्कि नई जग-सृजनकारी... ©मैं कल्कि नई जग-सृजनकारी© #mothertongue_verse #yqdidi #yqbaba