Nojoto: Largest Storytelling Platform

ये शाम-ए-गम गुजरती क्यों नहीं है मेरी क़िस्मत बदल

 ये शाम-ए-गम गुजरती क्यों नहीं है
मेरी क़िस्मत बदलती क्यों नहीं है

वो इक मासूम सी सादा सी लड़की
मेरे दिल से निकलती क्यों नहीं है

©Mehfil-e-Mohabbat
  ✍️♥️ अता उल हक़ कासमी ♥️✍️

✍️♥️ अता उल हक़ कासमी ♥️✍️ #शायरी

125 Views