पहले चिंकी हुई फिर पिंकी हुई । फिर जिंकी हुई और अंत मे सिंकी हुई । मैंने कहा भाई ये तुमने क्या किया । उसने कहा लड़के के चक्कर मे ये सब हुआ । मैंने कहा क्या करेगा लड़के का । उसने कहा कोई पानी देने वाला तो हो । कोई सेवा करने वाला तो हो । मैंने कहा लडकिया भी कर देती है सेवा । लडकिया भी दे देती है कंधा । इतने मे उसने कहा लडकिया परायी होती है । पिता के लिए दुखदायी होती है । इनको तो एक दिन ससुराल जाना है । इसलिए एक लड़का जरुर पैदा करना है । मैंने कहा लडका भी एक दिन यही करने वाला है । जैसे ही शादी हुई अलग घर बसाने वाला है । तुम एक दिन भी साथ नही रह पाओगे । उसके साथ रहे तो घुट कर मर जाओगे । जब बेटी पैदा नही करोगे । तो बहू कहा से लाओगे। किसके आगे हाथ फैलाओगे । क्या अपने लड़के को कंवारा रखोगे । बेटी कभी-कभी तो मिलने आएगी । पर बेटा कभी मिलने नही आएगा । बेटे से ये जन्म सुधरेगा । पर बेटी सात जन्म सुधारेगी । बेटिया तो नसीब वालो के होती है । ये जहा होती है वहा जन्नत होती है । ये जहा जाएगी सबको अपना बनाएगी । दिल मे बसी दुरियो को हटाएगी । बेटा बहू का बनकर रह जाएगा । पत्नी को सबकुछ मा बाप को भूल जाएगा । एक दिन मा बाप को ताना मारेगा । जीते जी तुम को मार डालेगा । लड़की देश को आगे बढ़ाएगी । मा बनकर बच्चो को अच्छे संस्कार देगी । हर बेटी के नसीब मे पिता होता है । पर हर पिता के नसीब मे बेटी नही होती है । आज से ये संकल्प लेना है । हमे बेटियो को बचाना है । तभी हमारा देश सुधरेगा । वरना लिंगानुपात गिर जाएगा । ©Narendr Kumar acharya narendra kumar #Flower