मुझे तन्हा करने से पहले अपना बना लेते तो अच्छा था । दूर जाने से पहले मुझे बाँहों मे समेट लेते तो अच्छा था ।। सुनो तो सही सफ़र पर जा रहे हो क्या यूँ छोड़कर हमें । दो पल हमें भी अपना हमराही बना लेते तो अच्छा था ।। ना ज़ब्त कर दर्द-ए-अश्कों को अपनी इन बेनूर आँखों में । ये ग़म-ए-आब फिर ज़रर देगा बरसा लेते तो अच्छा था ।। यूँ कब्रों पर जाकर सुबहो-शाम दीये जलाने से क्या फायदा । माँ-बाप के पैरों मे ही जन्नत पहले बना लेते तो अच्छा था ।। तेरी बहुत सी शिकायतें हैं 'अल्फाज़' तुझसे इस जमाने को । काश तुम भी दर्द को अपना हमनवां बना लेते तो अच्छा था ।। #ज़िन्दगानी_मे_कुछ_यूँ_भी **ज़ब्त--सहन,सहनशीलता **ज़रर--नुकसान **हमनवां--दोस्त **ग़म-ए-आब--दुःखों के बादल #yqdidi #yqquotes #yqthoughts #yq