White जज्बात मुझसे दिल के संभाले नहीं गए, आँखों में भरे अश्क थे निकाले नहीं गए, खुशियां थी अमन था चैन था मुहब्बत थी, सब था मगर वक़्त पर उछाले नहीं गए । तू गैर था मगर फिर भी अपना सा लगा था, अपनों के दिए जिगर से छाले नहीं गए। इक साया सा रहा बनके सालों यूं हमसफ़र, बस इस स्याह रूह के इतर उजाले नहीं गए। जीने का हुनर आता जो होती उम्मीद भी, थे मौके बहुत मुझसे मगर खंगाले नहीं गए। यशपाल सिंह ,"बादल" ©Yashpal singh gusain badal' #गजल