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स्मृतियों में भी साथ,जिस आंस का ना छूटे, उसके अधरो

स्मृतियों में भी साथ,जिस आंस का ना छूटे,
उसके अधरों की वो प्यास बन जाऊं ,
नदियों की तड़प है समंदर का आगोश मिले,
मय में भी ना भूले जो सबब मदहोशी का,
वो होश बन जाऊं !
सोचती हूं एक अख़बार बन जाऊं,
पढ़ें वो रोज़ मुझे, वाे
 समाचार बन जाऊं..!

— पायल पांडेय ‘ गीतानिल ’
@copyright

©Payal Pandey #पायल_पांडेय_गीतानिल

#lookingforhope
स्मृतियों में भी साथ,जिस आंस का ना छूटे,
उसके अधरों की वो प्यास बन जाऊं ,
नदियों की तड़प है समंदर का आगोश मिले,
मय में भी ना भूले जो सबब मदहोशी का,
वो होश बन जाऊं !
सोचती हूं एक अख़बार बन जाऊं,
पढ़ें वो रोज़ मुझे, वाे
 समाचार बन जाऊं..!

— पायल पांडेय ‘ गीतानिल ’
@copyright

©Payal Pandey #पायल_पांडेय_गीतानिल

#lookingforhope