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साकी तुझसे दिल लगाने कि सज़ा क्या खूब पायी है.. तेर

साकी तुझसे दिल लगाने कि सज़ा
क्या खूब पायी है..
तेरे मैखाने मे मैंने रोज़ शाम बितायी है..

दिनभर का टुटा हर शाम बिखर जाता है..
मेरा दिल तेरी देहलीज़ पर सुकूँ पाता है..

आज पीला दे जाम अपनी नज़रों का भी..
तेरा मैकदे का नशा मुझे कम नज़र आता है..

©मेरे ख़यालात.. (Jai Pathak)
  #साकी