a-person-standing-on-a-beach-at-sunset यूं तो मौसम हर दिन सुहाना होता है मगर मकर संक्रांति के मौसम की तो बात ही निराली है। रात रात भर जागकर पतंगो को तैयार करना। कड़ाके की ठंड में सुबह जल्दी उठना। छत पर जाकर आसमान की तरफ देखना। शोर शराबे से मौहल्ले वालों को जगाना। ये जगाना नहीं, बल्कि सबको बताना कि मे सबसे पहले उठ गया। सुबह ओस की बूँदो में पतंग उड़ाना जो कभी नहीं उड़ती थी फिर रुक कर इंतज़ार करना मौसम साफ होने का। आसपास के दोस्तो को मांझे के बारे में पूछना सब याद है आज भी। यू दिन भर पतंग उड़ाना, शोर करना, गानों की मस्ती पे झूमना। चारों और रंग बिरंगा आसमान पतंग उड़ाने से ज्यादा पतंग लूटने का मजा। कटी पतंग को देख उसकी डोर को ढुंढना और खाने की क्या बात करे कितना कुछ दिन भर पतंग के पेच के साथ साथ आंखों के पेच लड़ाना किसी लड़की को देख उसकी और पतंग झुकाना शाम होते ही जगमगाता आसमान, रोशनी से सजा पतंग हाथों मे लेकर छोड़ना। कितनी उमंग और उल्लास के साथ मकर संक्रांति का पर्व मनाना कितना मजा आता है ©पूर्वार्थ #makarsakranti