"जीवन संघर्ष" क्यों भयातुर हो सखे ! सब कर्म के परिणाम हैं, तू देख कर संधान कर, अभ्यास कर ,प्रवीण बन, अनायास तुझको मिल गया, उस पर तुम्हारा गर्व क्या? सर्वस्व जिसमें ना लगे, वो संघर्ष भी, संघर्ष क्या? तेरे निरंतर कर्म से, बह रहा जो स्वेद है, तप तुम्हारा है यही, यही तो अश्वमेघ है, जो तपा संघर्ष से, जो जला कुंदन बना, मृत्यु का भय छोड़कर, जो लड़ा अर्जुन बना, प्रयास गर निष्फल हुए, अनुभव मिलेगा फिर नया, होंगे परिष्कृत शस्त्र नव, विजय मिलेगी अंततः, उद्योग कर, पुरुषार्थ कर, स्व कर्म को यथार्थ कर, अपने अभीष्ट लक्ष्य का, उठ बढ़ो, आह्वान कर, लक्ष्य प्राप्ति के लिए, तू नित नए विज्ञान कर, हर क्षण को स्फूर्त कर, नित्य नूतन ज्ञान भर, उठो चलो संकल्प ले, लक्ष्य को प्रस्थान कर, भाव अपने पुण्य रख, जीवन का उत्थान कर। यशपाल सिंह बादल ©Yashpal singh gusain badal' #achievement "जीवन संघर्ष" क्यों भयातुर हो सखे ! सब कर्म के परिणाम हैं, तू देख कर संधान कर, अभ्यास कर ,प्रवीण बन, अनायास तुझको मिल गया, उस पर तुम्हारा गर्व क्या? सर्वस्व जिसमें ना लगे,