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हर अल्फ़ाज़ की यही चाह है रोशनी अंतर में भरी वाह ह

हर अल्फ़ाज़ की यही चाह है 
रोशनी अंतर में भरी  वाह है

हवाओं में उड़ा दिया है सच
आसमाँ में कौनसा गवाह है

कोने कोने में खड़ी है खुशबू 
ये किसकी महकती चाह  है

उजली लहरें मचल रही क्यों 
ये कैसा अभिन्न सा प्रवाह है

कभी कलकल है कभी मौन है 
गति संग किसका ये ठहराव है

इक सुर-लय-ताल में बंध रही 
कौनसे रिश्ते से जुड़ती राह है

©सुरेश सारस्वत
  #lily