कैसे रिश्ते नाते साहब काहे के कसमें और वादे साहब जब आन पड़ती है ना खुद पर कोई याद नहीं आता कोई पास नहीं आता ! स्वार्थी दुनिया है सब स्वार्थ से जुड़ा समझो स्वार्थ खत्म हुआ तो रिश्ता खत्म हुआ समझो फिर भी कोई कोई कहीं कहीं कलयुग में सतयुग के द्वापर युग के अवशेष बचे हैं उन्हीं की वजह से ही थोड़े से निस्वार्थ रिश्ते नाते बचे हैं... ये नया दौर है साहब, यहाँ रिश्ते-नाते सब नाम के हैं। समाज को आइना दिखाती हुई एक रचना करें। #रिश्तेनाते #collab #yqdidi .. YQ Sahitya पर हिंदी साहित्य और साहित्यकारों के बारे में पढ़ें। #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #PramodT