कभी मेरी पूछों कभी तुम अपनी कहो जब जरुरत हो तो तुम बस अपना साथ रखों कभी हांथों को पकड़ो कभी कंधे तक बात रखों कभी आंसूओं को जब देना हो रास्ता तुम मुझसे अपने हर जज्बात कहो , जब हो तुम्हें मेरी जरुरत तुम मुझ तक रुको , मैं दूँ तुम्हारा साथ जमी से आसमां तक कभी तो तुम कहो , तुम रखों ये दोस्ती का रिश्ता जब तलक ये साँसो का स्पंदन हैं सुनो , जब भी खालीपन लगे तुम मुझको ही हर जगह भरो , मैं रहूं तुम्हारे साथ जैसे परछाई और आस बनकर , कभी मेरी भी तुम पूछो कभी तुम अपनी भी कहो...... लंबे समय के बाद कुछ ठीक ठाक लिखने की कोशिश #neerajwrites